कैसा हंगामा कैसा हाहाकार पीला लबलबा चिपचिपा चादर से चिपका कमरे में बिस्तर पर बिछे चादर के ऊपर मैने तो किया नहीं अरमान व महत्वाकाँझायें टूटी टूटी गिरी गिरी फर्श पर बिखरी हुईं मेरी तो हैं नहीं कुचली कुचली गूलर पैरों तले बीज छितरे छितरे मिट्टी में मिली मैने तो रोंदा नहीं यह क्या मोतियों से भरा थाल दावानल में ढुलक गया मैने तो देखा नहीं सूखी टहनियाँ आग में चटकती हैं क्या तुम जानते नहीं हो?